दुनिया की तारीख़ में कई ऐसी क़ौमें और जनजातियाँ (tribes) रही हैं जिन्होंने इंसान का गोश्त खाया। आज इसे Cannibalism कहा जाता है। यह सुनने में जितना अजीब और डरावना लगता है, उतना ही सच भी है। इंसानों की यह आदत हर जगह नहीं थी, लेकिन अफ्रीका, अमरीका, ओशिनिया और एशिया के कुछ हिस्सों में यह प्रचलित रही। आइए आसान भाषा में जानते हैं कि यह क्यों और कहाँ होता था।
इंसान का मांस खाने की वजहें
1. धार्मिक मान्यताएँ – कई जनजातियाँ मानती थीं कि दुश्मन का मांस खाने से उनकी ताक़त और आत्मा उनके अंदर आ जाती है।
2. भूख और अकाल – जब खाने के लिए कुछ न होता, तब मजबूरी में इंसान इंसान का मांस खाने लगता।
3. रिवाज़ और संस्कृति – कुछ जगह यह समाज का हिस्सा बन गया था। यह उन्हें अजीब नहीं लगता था, बल्कि सामान्य बात थी।
4. युद्ध में जीत का जश्न – कई जनजातियाँ दुश्मनों को मारकर उनका मांस खातीं, ताकि अपनी ताक़त और जीत दिखा सकें।
दुनिया की मशहूर Cannibal क़ौमें
1. फॉर जनजाति (Fore Tribe) – पापुआ न्यू गिनी
यह जनजाति अपने मरे हुए लोगों का मांस खाती थी। वे मानते थे कि ऐसा करने से आत्मा घरवालों के पास रहती है। लेकिन इसी वजह से उन्हें कुरु (Kuru) नाम की ख़तरनाक बीमारी फैल गई।
2. एज़्टेक (Aztec) – मैक्सिको
एज़्टेक लोग युद्ध में पकड़े गए दुश्मनों को बलि चढ़ाते और फिर उनका मांस खाते। यह उनकी धार्मिक रीतियों का हिस्सा था।
3. माओरी (Maori) – न्यूज़ीलैंड
माओरी योद्धा दुश्मनों को मारकर उनका मांस खाते थे। यह उनके लिए दुश्मन को पूरी तरह हराने और उसकी ताक़त लेने का तरीक़ा था।
4. अफ़्रीका की जनजातियाँ
अफ़्रीका के कई इलाकों में इंसान का मांस खाना देखा गया। कॉन्गो और लाइबेरिया की लड़ाइयों के दौरान कुछ लड़ाकों पर भी ऐसा आरोप लगा कि वे दुश्मनों का मांस खाते थे
भारत में Cannibalism
भारत में भी इस तरह की बातें सुनी गई हैं। आघोरी संप्रदाय के कुछ साधु श्मशान में लाश का मांस खाते हैं, लेकिन यह आम नहीं है। उनका मानना है कि यह साधना का हिस्सा है और इससे उन्हें मोक्ष की राह मिलती है।
इंसान पर इसका असर
इंसान का मांस खाने से कई खतरनाक बीमारियाँ फैलती हैं, जैसे “कुरु”।
यह आदत समाज को बर्बाद कर देती है और इंसानियत को शर्मसार करती है।
आज के दौर में इसे अपराध माना जाता है और दुनिया के लगभग हर देश में यह सख़्त गुनाह है।
आज के समय में Cannibalism
आज यह प्रथा लगभग ख़त्म हो चुकी है, लेकिन कभी-कभी ख़बरों में कोई-कोई केस सामने आता है। यह ज्यादातर मानसिक रूप से बीमार लोगों या आपराधिक घटनाओं से जुड़ा होता है।
इंसान का मांस खाने वाली क़ौमें हमें यह सिखाती हैं कि जब इंसान अपनी बुनियादी ज़रूरतें या विश्वासों के पीछे अंधा हो जाता है, तो वह कितनी ख़तरनाक हद तक जा सकता है। लेकिन इंसानियत की असली पहचान प्यार, रहम और भाईचारे में है, न कि एक-दूसरे का मांस खाने में।